अमेरिका कर रहा चीन को कमजोर बनाने की तैयारी, चाहता है भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया को मिलाकर नाटो जैसा संगठन बनाना
By: Ankur Wed, 02 Sept 2020 12:20:06
अमेरिका और चीन के रिश्तों से तो सभी वाकिफ हैं जिनके बीच हमेशा बयानबाजी चलती रहती हैं। ऐसे में हमेशा दोनों देश एक-दूसरे को कमजोर दिखाने का भी प्रयास करते हैं। इस कड़ी में अब अमेरिका द्वारा भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन को कमजोर बनाने के लिए अपने मित्र देशों भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया को साथ लाकर नाटो जैसा गठबंधन बनाने की तैयारी की जा रही हैं। इसको लेकर जल्द ही चारों देशों की दिल्ली में बैठक होने की उम्मीद हैं।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के उप विदेश मंत्री स्टीफन बिगन ने सोमवार को कहा, हमारा लक्ष्य इन चार देशों के साथ दूसरे देशों को मिलाकर चीन की चुनौती का सामना करना है। भारत-प्रशांत क्षेत्र में मजबूत संयुक्त सैन्य तंत्र की कमी है। इस क्षेत्र के पास नाटो या यूरोपीय यूनियन जैसा कोई मजबूत संगठन नहीं है। जब नाटो की शुरुआत हुई थी तो बहुत मामूली उपेक्षाएं थीं।
शुरू में कई देशों ने नाटो की सदस्यता लेने के बजाय तटस्थ रहना चुना था लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। यूएस-इंडिया स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप फोरम को संबोधित करते हुए भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रहे रिचर्ड वर्मा के साथ ऑनलाइन चर्चा के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह का गठबंधन तभी होगा जब दूसरे देश अमेरिका जितने प्रतिबद्ध होंगे। वहीं यदि मालाबार नौसेना अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया भाग लेता है तो डिफेंस ब्लॉक बनाने की इस दिशा में बड़ा कदम होगा।
मालाबार नौसेना अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया के शामिल होने के संकेत
भारत मालाबार नौसेना अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया के शामिल होने का संकेत दे चुका है। मालाबार नौसेना अभ्यास 1992 से अमेरिका और भारत के बीच हो रहा है। 2015 से इसमें जापान भी शामिल है। 2007 में एक बार ऑस्ट्रेलिया ने इसमें हिस्सा लिया था लेकिन, चीन की व्यापार कम करने की धमकी पर अगले साल से हट गया था। 2007 में सिंगापुर ने भी इसमें हिस्सा लिया था। ऑस्ट्रेलिया ने इस साल इस एक्सरसाइज में शामिल होने की फिर से इच्छा जताई है।
न्यूजीलैंड, वियतनाम, द. कोरिया भी हो शामिल
बिगन ने कहा, क्वाड्रीलेटरल सिक्टोरिटी डायलॉग (क्वाड) देशों में वियतनाम, साउथ कोरिया और न्यूजीलैंड को भी शामिल किया जाना चाहिए। अभी इसमें भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका शामिल हैं। इसका मकसद भारत प्रशांत क्षेत्र में शांति बनाए रखना है।
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